ब्रह्म जानाति ब्राह्मण:’ अर्थात ब्रह्म को ब्राह्मण है | ब्रह्मनोको ब्रह्माजी की संतान मनागाया है, ब्रह्मनोमे भी कन्या कुब्ज ब्रह्मनोको द्विजा : श्रेस्टा कहा गया है | कन्या कुब्ज ब्राह्मण हम क्यों कहलाने लगे ? आयिए आज हम इसकी जानकारी प्राप्त कर ले | जैमिनी आचार्य ने मीमंसा शास्त्र में लिखा है आक्याही देश संयोग दिति गेमिनिना स्पुतम | मिमाषा शास्त्र उठ्कत्जित पुरानेश्वपिदृश्यता अर्तात देश के सहयोग से ही नाम पड़ता है | एइसा जैमिनी आचार्य ने निवंसा शास्त्र में स्पस्ट किया है | कन्या कुब्ज नामक देश में बस ने के कारण वहा के ब्राह्मण कन्या कुब्ज कहलने लागे विद्वानोका मत की उदियाच देश ही कन्या कुब्ज देश है | जो ब्राह्मण अपने मूल स्थान में रहगया, वे ही कन्या कुब्ज ब्राह्मण कहलाये और स्थान भ्रस्त न होने से ही वे अधिक पथिस्ता के पत्र है | उद्दित्च देश सरस्वती से गण्डकी तक प्रस्दिद था, जो की ब्राह्मणों का अधि स्तन है कालांतर में उद्दीच देश नाम में भी परिवर्तन होगया, इसका प्रमाण हमें वाल्मीकि कुत रामायण में सर्ग ३१ मे निम्न प्रकट से मिलता है –
ते गत्वा दोर्मध्यावन लांब माने दिवाकरे | वान्स्च्राकमुनिगन शोंण खुले समाहिता || अथ रामों महा तेजा विश्वामित्र तवपोधनम \
प्रपच्छ मुनिशार्दुलुम कौतुहल समन्वितम ||
भगवान कोनवयम देशे समृद्ध बन शोभित |
अर्थात श्री रामचन्द्रजी तथा मुनि विश्वामित्र जी के संवाद में कहते है कि संध्या हो जाने के कारण शोण है और गिरिव्रज को कुशनाभ के भाई ने बसाया था | यह स्थान महोदय के समीप है और यह महोदय वही है; जहाँ कुब्जी कन्याएं पैदा हुई थी |
इस शोण नदी के किनारे ठहरने पर श्री रामचन्द्रजी ने विश्वामित्र से पूछा था कि यह कौनसा देश है | इसके उत्तर में विश्वामित्र ने महाराज कुशनाभ की सौ कुब्सेजी कन्याओ की कथा सुनाई और साथ ही की कहा “मै भी कुशनाभ के पुत्र गाधिं का पुत्र हूँ | मेरे पिता ने भी इसी कान्यकुब्ज देश में तप किया था और मुझे भी इसी देश में सिद्धि प्राप्त हुई |” (महाभारत वन पर्व १२५ – 19)
कान्यकुब्ज देश पूर्व में गण्डकी शोण अथवा मिथिला की सीमा तक पश्चिम में कुरुशेत्र तक दक्षिण में विन्द्याचल के पार तक और उत्तर में हिमालय तक फैला हुआ था | यह देश आदिकाल में ब्रह्मावर्त प्राचीन काल में उदीच्य देश, मध्याकालीन कान्यकुब्ज देश कन्नौज अर्वाचीन पस्चिमोतर देश है और वर्तामान युक्त प्रान्त आगरा और अवध आदि नमो से प्रसिद्ध रहा है |